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Gopal Sharma gopalindians

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@gopalindians
gopalindians / index.php
Created April 28, 2020 13:08
php-news-cli | php index.php -s nasa
<?php
require_once dirname(__FILE__, 1) . '/simple_html_dom.php';
function progressBar($done, $total) {
$perc = floor(($done / $total) * 100);
$left = 100 - $perc;
$write = sprintf("\033[0G\033[2K[%'={$perc}s>%-{$left}s] - $perc%% - $done/$total", '', '');
fwrite(STDERR, $write);
}
function scrapingBing($q='php') {
@gopalindians
gopalindians / 004 । वाल्मीकि जी का संसार, शास्त्र, वासना, मुक्ति और रामजी की के जीवन की कथा का आरंभ करना.md
Last active January 11, 2020 13:51
004 । वाल्मीकि जी का संसार, शास्त्र, वासना, मुक्ति और रामजी की के जीवन की कथा का आरंभ करना.md

3 जनवरी

ब्रह्मस्य जागतस्यास्य जातस्याकाशवर्णवत्। अपुनः स्मरणं मन्ये साधो विस्मरणं वरम् (2)

वाल्मीकि ने आगे कहा: संसार का स्वरूप भ्रम में डालनेवाला है। यहाँ तक कि नीला दिखलाई पड़नेवाला आकाश भी दृष्टि-भ्रम ही है। मेरा विचार है कि उससे (संसार से) मन न लगाया जाए बल्कि उसकी उपेक्षा की जाए। जब तक यह धारणा जाग्रत नहीं होती कि संसार का स्वरूप असत् है तब तक न तो दुखों से निवृत्ति मिल सकती है और न अपनी प्रकृति की ही अनुभूति हो सकती है। यह धारणा तभी जाग्रत होती है जब धर्मग्रंथों का अध्ययन मनोयोग से किया जाए। तभी व्यक्ति की दृढ़ धारणा बनती है कि यह दृश्य संसार भ्रम है तथा सत् और असत् का मिला-जुला रूप है। यदि कोई मनोयोग से धर्मग्रंथों का अध्ययन नहीं करता तो लाखों वर्षों में भी उसमें सच्चा ज्ञान उत्पन्न नहीं होता।

मोक्ष वस्तुतः संपूर्ण वासनाओं या मानसिक प्रवृत्तियों का त्याग है। वासनाएँ दो प्रकार की होती हैं–शुद्ध और अशुद्ध। अशुद्ध वासनाएँ जन्म का कारण होती हैं और शुद्ध वासनाएँ बार-बार होनेवाले जन्म से मुक्ति दिलाती हैं। अशुद्ध वासनाओं की प्रकृति अहं-प्रधान होती है। ये ऐसे बीज हैं जिनसे पुनर्जन्म का वृक्ष उत्पन्न हो

@gopalindians
gopalindians / 003 । वाल्मीकि जी का धर्म ग्रन्थ और उसके अधिकारी का वर्णन । योग वशिष्ठ महा रामायण.md
Last active January 11, 2020 13:57
003 । वाल्मीकि जी का धर्म ग्रन्थ और उसके अधिकारी का वर्णन । योग वशिष्ठ महा रामायण.md

2 जनवरी

अहं बद्धो विमुक्तः स्याम् इति यस्यास्ति निश्चयः नात्यन्तम् अज्ञो नो तज् ज्ञः सोस्मिन् चास्त्रेधिकारवान् (2)

वाल्मीकि ने कहा: राम और वसिष्ठ की वार्ता-संबंधी इस धर्मग्रंथ के अध्ययन का वही अधिकारी है। जो यह अनुभव करे: “मैं बंधन में पड़ा हूँ और मुझे इस बंधन से अपने को मुक्त करना है”। ऐसा व्यक्ति न तो पूर्ण रूप से अज्ञानी होता है और न ज्ञानी ही। जो इस धर्मग्रंथ में उल्लिखित मोक्ष के उपायों पर मनन करता है वह निश्चय ही जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा पा जाता है।

मैंने पहले रामकथा लिखी थी और उसका वर्णन अपने प्रिय शिष्य भरद्वाज से किया था। भरद्वाज जब एक बार मेरु पर्वत पर गए थे तो उन्होंने इसका वर्णन सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से किया था। कथा से अत्यधिक प्रसन्न होने पर ब्रह्मा जी ने भरद्वाज से वर माँगने के लिए कहा था। भरद्वाज ने यह वर माँगा: “संसार के सभी मनुष्यों को दुखों से छुटकारा मिले।” साथ ही उन्होंने ब्रह्मा जी से यह भी कहा: “छुटकारा कैसे प्राप्त हो इसका उपाय भी कृपाकर बतलाएँ।”

ब्रह्मा जी ने भरद्वाज से कहा, “आप वाल्मीकि जी के पास जाएँ और उनसे प्रार्थना करें कि रामकथा का वर्णन निरंतर करते रहें और इस ढंग से क

@gopalindians
gopalindians / 002 सुतीक्ष्ण का अगस्त्य ऋषि से प्रश्न.md
Last active January 11, 2020 13:59
002 सुतीक्ष्ण का अगस्त्य ऋषि से प्रश्न

1 जनवरी

उभाभ्याम् एव पक्षाभ्यां यथा खे पक्षिणः गतिः तथैव ज्ञान कर्माभ्यां जायते परमं पदम् (7)

सुतीक्ष्ण ने अगस्त ऋषि से पूछा: हे ऋषि, मुझे मोक्ष के संबंध में जानकारी दें और बताएँ कि कर्म और ज्ञान में से कौन मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है।

अगस्त्य ऋषि ने उत्तर दियाः जिस प्रकार पक्षी अपने दोनों परों से उड़ते हैं, उसी प्रकार मोक्ष की प्राप्ति में कर्म और ज्ञान दोनों सहायक होते हैं। न अकेले कर्म ही मोक्ष की प्राप्ति में सहायक हो सकता है और न अकेले ज्ञान ही। सुनो! तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूँ। कारुण्य नामक एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति था। उसके पिता का नाम अग्निवेश्य था। धर्मग्रंथों के अध्ययन तथा मनन के फलस्वरूप कारुण्य जीवन के प्रति उदासीन हो गया था। अग्निवेश्य ने एक दिन अपने पुत्र से पूछा कि तुमने अपना नित्य नियम क्यों छोड़ दिया है। उत्तर में कारुण्य ने कहा, “हमारे धर्मग्रंथ एक बात तो यह कहते हैं कि शास्त्रों में उल्लिखित सभी कर्म करने चाहिए और साथ ही यह भी कहते हैं कि अमर पद प्राप्त करने के लिए सभी कर्मों का त्याग कर देना चाहिए। मेरे पिताजी! मेरे गुरुवर! मेरी समझ में नहीं आ रहा कि आ

@gopalindians
gopalindians / 001 । भूमिका । योग वशिष्ठ महा रामायण.md
Last active January 11, 2020 14:01
001 । भूमिका । योग वशिष्ठ महा रामायण

भूमिका

‘योग वासिष्ठ’ भारतीय मनीषा के प्रतीक सर्वोत्कृष्ट ग्रंथों में है। विद्वत्जन इसकी तुलना ‘भगवद् गीता’ से करते हैं। दोनों उपदेश प्रधान ग्रंथ हैं। भगवद् गीता में स्वयं नारायण (श्रीकृष्ण) नर (अर्जुन) को उपदेश देते हैं जबकि ‘योग वासिष्ठ’ में नर (गुरु वसिष्ठ) नारायण (श्रीराम) को उपदेश देते हैं। दोनों ही ग्रंथों में अर्जुन और श्रीराम के माध्यम से दिए गए उपदेश मानवता के लिए कल्याणकारी हैं, उसे निराशा और अवसाद से उबारते हैं और उसे मूल ध्येय की ओर अग्रसर करते हैं।

सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें योग वासिष्ठ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो। अनेक ऋषि-मुनियों के अनुभवों के साथ-साथ अनगिनत मनोहारी कथाओं के संयोजन से इस ग्रंथ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। स्वामी वेंकटेसानन्द जी का मत है कि इस ग्रंथ का थोड़ा-थोड़ा नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। उन्होंने पाठकों के लिए 365 पाठों की माला बनाई है। प्रतिदिन

var lazyBackgrounds = [].slice.call(document.querySelectorAll(".lazy-background"));
if ("IntersectionObserver" in window) {
let lazyBackgroundObserver = new IntersectionObserver(function (entries, observer) {
entries.forEach(function (entry) {
if (entry.isIntersecting) {
console.log();
if (entry.target.getAttribute('data-image') === 'universe') {
entry.target.innerHTML = '<img src="images/universe.jpg?v=1" alt="Universe" />';
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Serial Keys:
FU512-2DG1H-M85QZ-U7Z5T-PY8ZD
CU3MA-2LG1N-48EGQ-9GNGZ-QG0UD
GV7N2-DQZ00-4897Y-27ZNX-NV0TD
YZ718-4REEQ-08DHQ-JNYQC-ZQRD0
GZ3N0-6CX0L-H80UP-FPM59-NKAD4
YY31H-6EYEJ-480VZ-VXXZC-QF2E0
ZG51K-25FE1-H81ZP-95XGT-WV2C0
VG30H-2AX11-H88FQ-CQXGZ-M6AY4
@gopalindians
gopalindians / google_doc_cms.php
Created September 16, 2019 14:26 — forked from xeoncross/google_doc_cms.php
Fetch a google doc, parse it, cache it, and display the content inside a webpage using PHP.
<?php
// Based on http://www.realisingdesigns.com/2009/10/29/using-google-docs-as-a-quick-and-easy-cms/
function getUrl($url, $expires = 5)
{
$cache_file = __DIR__ . '/cache/' . preg_replace('~\W+~', '-', $url) . '.txt';
if( ! is_dir(__DIR__ . '/cache') AND ! mkdir(__DIR__ . '/cache')) {
die('Please create /cache directory');
}
@gopalindians
gopalindians / google_doc_cms.php
Created September 16, 2019 14:26 — forked from xeoncross/google_doc_cms.php
Fetch a google doc, parse it, cache it, and display the content inside a webpage using PHP.
<?php
// Based on http://www.realisingdesigns.com/2009/10/29/using-google-docs-as-a-quick-and-easy-cms/
function getUrl($url, $expires = 5)
{
$cache_file = __DIR__ . '/cache/' . preg_replace('~\W+~', '-', $url) . '.txt';
if( ! is_dir(__DIR__ . '/cache') AND ! mkdir(__DIR__ . '/cache')) {
die('Please create /cache directory');
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@gopalindians
gopalindians / AppServiceProvider.php
Created September 7, 2019 01:06
Updated app/Providers/AppServiceProvider.php
<?php
namespace App\Providers;
use Illuminate\Support\ServiceProvider;
class AppServiceProvider extends ServiceProvider
{
/**
* Register any application services.